| 1. | योनि में खुजली होने पर इसका स्थानिक प्रयोग करना चाहिए।
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| 2. | सिरोंचाजनित विषक्तता में इसका स्थानिक प्रयोग प्रतिविष का कार्य करता है।
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| 3. | फिर रोगी के रोग पर चुम्बक का स्थानिक प्रयोग करना चाहिए।
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| 4. | शक्तिशाली चुम्बकों का प्रयोग रोगग्रस्त भाग पर स्थानिक प्रयोग द्वारा किया जाता है।
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| 5. | विभिन्न प्रकार के त्वचा विकारो और बालो के विकारो मे इसका स्थानिक प्रयोग
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| 6. | स्थानिक प्रयोग के लिये पन्चतिक्त घृत और भृंगराज तैल दोनो को मिलाकर प्रयोग करे ।
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| 7. | स्थानिक प्रयोग के लिये पन्चतिक्त घृत और भृंगराज तैल दोनो को मिलाकर प्रयोग करे ।
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| 8. | खोइँछा एक विशुद्ध पारिवारिक स्थानिक प्रयोग, जिसका शाब्दिक अर्थ 'मुड़ा या मोड़ा हुआ आँचल' होता है।
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| 9. | रोगी को घुटने के दर्द तथा कलाई के दर्द की अवस्था में चुम्बकों का स्थानिक प्रयोग करना चाहिए।
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| 10. | अर्श या बवासीर मे इसके स्वरस का प्रयोग और इसके पांचाग की मसी का प्रयोग रक्तजार्श मे स्थानिक प्रयोग
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